स्कूल हादसा—झालावाड़, राजस्थान: बच्चों की सुरक्षा को लेकर सवाल

राजस्थान के झालावाड़ जिले के मनोहरथाना इलाके में स्थित पिपलोदी प्राइमरी स्कूल की छत गिरने की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। सुबह करीब 8 बजे, जब बच्चे अपनी कक्षा में पढ़ाई कर रहे थे, तभी एक जोरदार धमाके के साथ छत नीचे आ गिरी। इस दर्दनाक हादसे में पांच मासूम बच्चों ने अपनी जान गंवा दी, जबकि 17 बच्चे घायल हो गए। उस समय स्कूल में करीब 70 बच्चे मौजूद थे। खबर मिलते ही पुलिस, प्रशासन और एनडीआरएफ की टीमें तुरंत मौके पर पहुंचीं और बचाव कार्य में जुट गईं। माना जा रहा है कि अब भी मलबे में 44 बच्चे फंसे हो सकते हैं—जिससे परिजनों और पूरे इलाके में गहरी चिंता का माहौल है।

स्कूल हादसा—झालावाड़, राजस्थान: बच्चों की सुरक्षा को लेकर सवाल

हादसा क्यों भूलना संभव नहीं

इस हादसे ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि देश भर में स्कूलों की इमारतें आखिर कितनी सुरक्षित हैं? पुराने और देखभाल से वंचित भवन, प्रशासनिक लापरवाही और बुनियादी संरचनात्मक समस्याएं बच्चों की जान पर भारी पड़ जाती हैं। यह सिर्फ झालावाड़ की त्रासदी नहीं है—इसी तरह के हादसे देश के कई हिस्सों में हो चुके हैं, जिनमें बच्चों को अपनी जान गंवानी पड़ी।

पहले भी हुए हैं ऐसे बड़े हादसे

  • सितंबर 2011, दिल्ली: किरारी इलाके में प्राथमिक विद्यालय की छत गिरने से 5 बच्चों की मौत।
  • जून 2014, पुणे: स्कूल के पुराने भवन के गिरने से 2 छात्रों की जान गई।
  • दिसंबर 2019, तमिलनाडु: एक निजी स्कूल की बिल्डिंग गिरी—17 बच्चों की मौत, 23 घायल।

इन सभी घटनाओं ने स्कूलों की संरचना, सुरक्षा और सरकार की जवाबदेही पर सवाल उठाए हैं।

क्या सीखा जा सकता है झालावाड़ हादसे से?

  • स्कूल भवनों की समय-समय पर तकनीकी जांच और संरक्षण अनिवार्य बनाया जाए।
  • पुराने स्कूलों की मरम्मत और पुनर्निर्माण की स्पष्ट नीति बने।
  • बच्चों की सुरक्षा प्रथम प्राथमिकता हो—ऐसी व्यवस्थाएं हों कि बारिश या किसी प्राकृतिक आपदा में स्कूल भवन खतरा न बनें।
  • स्थानीय प्रशासन की जवाबदेही तय हो और लापरवाही पर सख्त कार्रवाई हो।
  • अभिभावकों और शिक्षकों को भी स्कूल की स्थिति की जानकारी देना आवश्यक है।

स्कूल हादसा—झालावाड़, राजस्थान: बच्चों की सुरक्षा को लेकर सवाल

यह हादसा सिर्फ आँकड़ों में दर्ज कोई त्रासदी नहीं, बल्कि हर भारतीय मां-बाप के लिए चेतावनी है कि बच्चों की सुरक्षा में कोई भी चूक अकल्पनीय पीड़ा का कारण बन सकती है। उम्मीद है, सरकार और समाज इस पीड़ा को सुनेंगे—और भविष्य में हर बच्चे के लिए सुरक्षित स्कूल का सपना साकार करेंगे।
क्राइम….

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